अन्न उपजाने वाले किसानों की फिक्र आखिर किसको…

(पटनासिटी/उधवकृष्ण):-जी हाँ जिस देश की 70% आबादी किसी न किसी तरीक़े से किसानी से जुड़ी हो वहाँ किसानों की ऐसी हालात गले से नही उतरती है।

पटना सिटी के किसानों को हो रही दिक्कत।





किसानों की सुध लेने वाला कोई नही...

खेतों में काम करे रहे दिहाड़ी मजदूरों से बातचीत करने पर पता लगा की पट्टे पर मिलने वाले खेतों में वे मात्र 120₹ रोजाना पर काम करते है इसमें महिलाओं से लेकर पढ़ने वाली बच्चिया भी दिखी..

नही मिल रहे लागत मूल्य के बराबर भी आलू के दाम.

ये बड़ी गंभीर बात है जहाँ इस साल सबसे ज्यादा बजट कृषि को केंद्रित है वही किसान को लागत मूल्य भी मिलना दुस्वार है।

पटना सिटी के मरची स्थित गांव ‘रानीपुर चकिया’ के कृषक से बात करने पर मालूम हुआ की न कभी उनके वार्ड संख्या 56 के वार्ड पार्षद बलराम मंडल किसी तरह की मदत या सरकारी योजना के बारे में बतलाते है न ही हाल चाल लेने ही आते है।

कृषको का पारा सातवें आसमान पर था।

क्या है इसका हल!

सरकार सिर्फ योजना न बनाए बल्की उसे जमीनी स्तर पर भी उतारे व उसकी समीक्षा करें।

कृषक भी करें ये काम

कृषकों को भी जागरूक नागरिकों की तरह राज्य के कृषि विभाग से आवंटित योजनाओं के बाड़े में जानने का प्रयास करना चाहिए।

बिहार सरकार द्वारा आलू/प्याज आदि नगदी फसलों के लिए भी कृषि विभाग के वेबसाइट पर अनेकों योजनाए व जानकारियां उपलब्ध है…

जन प्रतिनिधि दें ध्यान.

स्थानीय जन प्रतिनिधियो को भी कृषकों का हाल चाल लेते रहना चाहिए व उनके समस्याओं का समाधान ढूंढना चहिये।

समृद्ध होंगे किसान तभी बनेगा देश महान

             ————————————————-mithilanchalnews————————————————————–
फटाफट ख़बरों के लिए हमे फॉलो करें फेसबुकट्विटर, गूगल प्लस पर..

Read all latest  headlines in Hindi. Also don’t miss today’s Hindi News.