क्या भारत माँ चाहेगी की उसके बच्चे आपस मे लड़-मरे!.. एक खास टिप्पणी..

भारत माता ! भारत पुल्लिंग है और माता स्त्री लिंग ! ये विरोधाभास कम था जो कोई कहता है भारत माता कहो और कोई कहने से इंकार करता है !

इन बातों की तह तक जाकर देखा जाए तो पता चलता है कि कुछ लोग गद्दी , नाम ,शोहरत और पैसों के लिए सोंची समझी सियासत के तहत धर्म के नाम पर धार्मिक मुद्दे का पासा फेंकते रहते हैं , किसी को सीढ़ी मिलती है तो किसी को साँप के मुंह वाला भाग !
ये कुछ और है भी नहीं , सिवाए साँप-सीढ़ी के खेल के ! इसे कोई और नाम देना मुझे अभी खल रहा है ! साँप-सीढ़ी के इस खेल में मारी तो आम जनता ही जाती है !

ये तो हम सभी जानते हैं कि हमारे भारत देश में साक्षरता दर बहुत ही कम है , पर पढ़े-लिखे लोग भी इतने ना समझ कैसे हो सकते हैं ? अचरज होता है ,अचरज होता है इस बात पर कि लोग ये क्यों नहीं समझ पा रहे कि हमारे देश का संविधान इस तरह के दब-दबे को विकृत मानसिकता का फल मानता है ! तो क्या कुछ मुट्ठी भर लोग हमारे देश के संविधान से बढ़ कर हैं ?

अब बात थोड़े भाषाई ज्ञान की भी हो जाए तो अच्छा रहेगा !
जिस देश में हमारा जन्म होता है अंग्रेज़ी में उसे मदर लैण्ड कहते हैं और उस जगह की भाषा को ” मदर टंग ” कहते हैं !
इसी तरह उर्दू भाषा में इसे मादरे वतन और बोली जाने वाली ज़बान को ” मादरी ज़बान ” कहते हैं तथा हिंदी में इसे मातृभूमि और मातृभाषा कहा जाता है !
अब ज़रा सा मैं हिंदी में बदलाव करते हुए मातृ को माँ और भूमि को धरती कहुं तो अतिशयोक्ति ना होगी ! थोड़ा और बदल कर मैं धरती के स्थान पर अपने देश भारत का नाम लिखुं तो क्या हर्ज़ है ! अब मातृभूमि के बदले हुए स्वरूप को भारत माँ कहना वैसा ही है जैसा कि मादरे वतन कहना ! साफ़ शब्दों में कहा जाए तो भारत माँ मादरे वतन का अनुवाद मात्र ही है ! पर धर्म और मज़हब को निशाना बनाने वालों ने सारे भाषाई ज्ञान की एैसी की तैसी कर दी ! हाय इन्हें लोगों को लड़वाने के लिए फ़िर कुछ मिल गया !
एै मेरी मादरे वतन , ओ माई मदर लैण्ड , एै मेरी भारत माँ ” प्रे फ़ोर अस ” ! क्योंकि कौन माँ चाहेगी कि उसके बच्चे ( चाहे वह कितने ही अच्छे या कितने ही बुरे हों ) आपस में लड़ मरें और माँ के आँचल को लहू – लुहान कर दें !

रेशमा ख़ातून.