देशी मुर्गी बिलायती बोल नाटक का मंचन कालिदास रंगालय में

पटना -: कालिदास रंगालय में देशी मुर्गी बिलायती बोल का मंचन किया गया जो की रविन्द्रनाथ टैगोर की कहानी नई रौशनी पर आधारित थी इस नाटक का नाट्य रूपांतरण मृतुन्जय शर्मा एवम निर्देशेक अरुण कुमार श्रीवास्त प्रकाश परिकल्पना राजन कुमार सिंह मंच परिकल्पना प्रदीप गांगुली वेश – भूषा एवं रूप – सज्जा सरिता कुमारी ने किया . इस नाटक में भाग लेने वाले कलाकार समीर रंजन , यूरेका किम , ज्ञान पंडित , सरिता कुमारी , नितीश प्रियदर्शी , रीना कुमारी , अभिषेक पाण्डेय , रौशन कुमार केशरी , गौतम कुमार , प्रभ्यांशु शेखर एवं अदिति सिंह मौजूद थे .

देशी मुर्गी बिलायती

आज की आधुनिक संस्कृति से प्रभावित युवावर्ग और अपने पति को परमेश्वर मानाने वाली भारतीय महिला पर आधारित थी ये नाटक जो की कविगुरु की कहानी नई रौशनी ली गई थी . अनाथबंधु अपने चार भाइयो में दूसरा है जिसकी शादी विध्यवासिनी से होती है और वह ससुराल में ही रहकर पढाई कर रहा है उसका मन पढाई में बिलकुल नहीं लगता वो किसी से बात भी नहीं करता सिर्फ उसे विदेश जाने का धुन सवार है यहाँ तक कई मिली नौकरियों को भी छोड़ देता है उसकी पत्नी वेहद शर्मिदगी के साथ मायके में रहती है एक दिन अनाथबंधु अपने ससुराल से पैसे चुराकर विदेश भाग जाता है और विध्यवासिनी ये सारा इल्जाम अपने सर ले लेती है एक दुखद घटना में विध्यवासिनी के परिवार के सभी लोग मर जाते है वो अपने घर में रहने लगती है तभी एक दिन अनाथबंधु का तार विदेश से लौटने का आता है घर में खुसी का माहौल है पंडित बुलाकर घर में पूजा पाठ कराया जाता है तभी अनाथबंधु अपनी विलायती दुल्हन के साथ घर में प्रवेश करा ता है ये देखकर सभी दंग रह जाते है .

 

हास्य और ग़मों से भरे इस नाटक का दृस्य हमें आज के समाज में देखने को मिल जाता है . फर्क बस इतना है की आज युवा विदेश न जाकर यही पश्चिमी सभ्यता में लिप्त है .

 

@ बिकेश्वर त्रिपाठी