” सपनों का मर जाना ” नाटक का मंचन,२७ वां पटना थियेटर फ़ेस्टिवल बिहार आर्ट थियेटर कालीदास रंगालय में प्रस्तुत किया गया!

(रेशमा ख़ातून/पटना): इस नाट्य की प्रस्तुति जन विकल्प सीतामढ़ी की ओर से की गई !
” सपनों का मर जाना ” ये एक एैसे मध्यम वर्गी परिवार की कहानी है जिसमें पति-पत्नी एक बेटा और एक बेटी हैं !

बेटा एक नामी इंग्लिश स्कूल की ग्यारहवीं कक्षा में पढ़ता है जबकि बेटी की पढ़ाई सरकारी स्कूल में होती है !
दहेज़ अधिक ना देना पड़े इसलिए उनके पिता बेटी की शादी कम उम्र में ही पक्की कर देते हैं , उसका भाई बादल इसका विरोध करता है पर उसकी एक नहीं चलती !

दूसरी ओर बादल को बचपन से साथ पढ़ने वाली लड़की सपना से मुहब्बत हो जाती है ,सोते-जागते वह बस सपना के ही सपने देखता रहता है ! पढ़ाई उसकी प्राथमिकता नहीं है , वह विराट कोहली की तरह नामी क्रिकेटर बनना चाहता है और अपने परिवार को सुखी जीवन जीते हुए देखना चाहता है ! उसका सेलेक्शन यू पी क्रिकेट बोर्ड में हो जाता है जिसमें ट्रेनिंग के लिए उसे ३०,००० ₹ जमा कराने हैं !

यह बात जब वह अपनी माँ को बताता है तो माँ विचलित हो उठती है कि कि वह कैसे अपने इकलौते बेटे की ख़वाहिश को पूरी कर दे !
पर जीवन के इस समय में उसके पास मायके से मिले ज़ेवर भी नहीं बचे हैं , घर की दुःख बिमारियों में वो सारे ज़ेवर पहले ही बेच चुकी है ! वह अपने पति को मनाने की कोशिश करती है पर सब बेकार !
बेटे के क्रिकेट में लगे रहने से नाराज़ पिता क्रिकेट बैट के टुकड़े-टुकड़े कर देता है!
उधर सपना का रिश्ता पक्का हो जाता है , जब वह यह बात बादल को बताती है तब वह टूट जाता है !
कहानी के पहले दृश्य में ही दिखाया गया था कि एक फटे हाल पागल व्यक्ति पार्क में बैठा अपनी बड़ी-बड़ी डिग्रियों को अपने कलेजे से लगा कर चीख़-चिख़ कर ये कहता है कि ” सपने मत देखो ” और फ़िर वहाँ ज़िंदगी से हारा हुआ एक लड़का आकर मौत को गले लगा लेता है !




उसी दृश्य को अंत में फ़िर दिखाया गया है , वह पागल व्यक्ति फ़िर चिल्लाता है ” कहा था ना सपने मत देखना ” वहाँ बादल आता है और तड़पता हुआ बेंच पर पड़ जाता है ! उसके टिचर को कुछ अनहोनी होने की आशंका होती है , वह उसे ढुंढते हुए वहाँ आते हैं और तब तक सुबह का सूरज निकल चुका है , बादल जगता है और कहता है ” मै कमज़ोर नहीं हुँ कि आत्महत्या कर लुँ ,मैने कोइ समझौता नहीं किया , मैने सुंदरतम सपना देखा है जिसे मै ज़रूर पुरा करूंगा !”
इस तरह अंधेरे में उत्पन्न निराशा सूरज की किरणों ने समाप्त कर दिया !
बादल अपने भावी जीवन में आगे बढ़ने और एक कामयाब इंसान बनने के लिए दृढ़ निश्चय से भर जाता है !