डीएमसीएच से बिना एक्स-रे जांच कराए ही लौट रहे हैं रोजाना डेढ़ सौ मरीज|

सिटी रिपोर्टर |दरभंगा

उत्तरबिहार के सबसे बड़े अस्पताल यानी डीएमसीएच में पिछले कई वर्षों से एक्सरे मशीन होने के बावजूद टेक्नीशियन की कमी के कारण मरीजों को काफी फजीहत झेलनी पड़ रही है। बीते पांच से छह साल से लगातार टेक्नीशियन की समस्या से अस्पताल में बनी हुई है। सामान्य से लेकर डिजिटल मशीनों को खरीद कर कमरों बंद कर दिया गया है। अस्पताल में एक्सरे टेक्नीशियनों की घोर कमी है तो मशीनों की खरीददारी ही क्यों की गई। साथ ही, जब मरीजों के हितों दबाव को देखते हुए मशीनों की खरीददारी की ही गई तो टेक्नीशियनों की बहाली पर अस्पताल प्रशासन ने गंभीरता क्यों नहीं दिखाई। 1050 बेड वाले अस्पताल में रोजाना बारह से पंद्रह सौ मरीज इलाज को नेपाल समेत मधुबनी, सीतामढ़ी, समस्तीपुर, सुपौल, सहरसा सहित मिथिलांचल के कई जिलों से पहुंचते हैं। इनमें से करीब दो से तीन सौ मरीजों को चिकित्सक इलाज के दौरान एक्सरे करवाने की सलाह देते ही हैं। डीएमसीएच में कुल चार एक्सरे यूनिटों में पांच एक्सरे मशीनें हैं। इसमें चार सामान्य एक डिजिटल एक्सरे मशीन है। जो मुख्य एक्सरे यूनिट, केंद्रीय आपातकालीन एक्सरे यूनिट, सर्जरी एक्सरे यूनिट शिशु वार्ड एक्सरे यूनिट शामिल है। अस्पताल के चार एक्सरे यूनिटों के पांच एक्सरे मशीनों में से एक (शिशु) उद्घाटन के बाद से ही बंद पड़ा हुआ है। वहीं, केंद्रीय आपातकालीन एक्सरे यूनिट जिसे स्वास्थ्य नियमों के अनुसार चौबीसों घंटे खुलना है वो पिछले ढ़ाई माह से बंद पड़ा हुआ है। साथ ही, मुख्य एक्सरे यूनिट में लगा डिजिटल एक्सरे मशीन भी काफी अरसे से बंद है। अस्पताल में सामान्य ओपीडी से दो से ढ़ाई सौ विभिन्न वार्डों में भर्ती मरीजों में से करीब पांच दर्जन मरीजों को चिकित्सक एक्सरे करवाने की सलाह देते हैं। इस हिसाब से अस्पताल में रोजाना तीन से साढ़े तीन सौ मरीजों का एक्सरे होना होता है। जो वर्तमान में सिर्फ दो मशीनों के भरोसे है।




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