नालंदा खुला विश्वविद्यालय बनाम स्वच्छ शौचालय..बदबू से छात्रों को हो रही दिक्कत..

तस्वीरे बोलती है…(टूटा हुआ है पाइप)  तस्वीरें खोल रही विश्वविद्यालय के स्वच्छता प्रबंधन की पोल… 

 विश्वविद्यालय प्रशासन ने मूंद रखी है आंखे।

बीमारियों से लड़कर पढ़ने को मजबूर छात्र…

इन्हें देख भ्रमित होने की जरूरत नही ये किसी नगर निगम के सुलभ शौचालय की तस्वीर नही बल्कि बिस्कोमान भवन के दूसरे तल पर मौजूद पुरुष प्रसाधन की तस्वीर है..

इन तस्वीरों को देख कर आपको विश्वविद्यालय की साफ-सफाई का अंदाजा तो हो ही गया होगा! 

हाल ही में 26 दिसंबर को सम्पूर्ण हुए दीक्षांत समारोह में बिहार के राज्यपाल और नालन्दा खुला विश्वविद्यालय के कुलाधिपति सत्यपाल मालिक ने इस यूनिवर्सिटी को नम्बर एक बतलाया था, उन्होंने तो यहाँ तक कहा था की हर यूनिवर्सिटी में महिला शौचालय अनिवार्य रूप से हो अन्यथा लाइसेंस भी रद्द करने का प्रावधान है। मेघालय राज्य के राज्यपाल गंगा प्रसाद ने भी विश्वविद्यालय की तारीफ की थी। हालांकि तय समय सीमा में परीक्षा लेने और सेशन के हिसाब से चलने के लिए प्रसिद्ध है पर दिनांक 7/1/2018 को आयोजित काउन्सलिंग क्लास के सेकंड सिटिंग को बिना सूचना के रद्द कर देने पर एन.ओ.यू प्रशासन के खिलाफ छात्रों का गुस्सा देखा जा सकता था। नाम न लिखने की शर्त पर एक छात्र ने एन.ओ.यू के पत्रकारिता विषय के को-ऑर्डिनेटर दिनेश कुमार का नाम बतलाया जिन्होंने बिना किसी पूर्व सूचना के सेकंड सिटिंग के कॉउंसलिंग क्लास को रद्द कर दिया था,, छात्रों की माने तो इस ठण्ड में भी दूर से आने वाले विद्यार्थियों को विश्वविद्यालय की ओर से कोई पूर्व सूचना न मिलने के कारण काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। वही बात अगर शौचालय की सफाई की कि जाए तो मामला गंभीर दिख पड़ता है,, गंदगी होने के कारण कई महिलाएं बाथरूम जाने से कतराती है, वही पुरुष वर्ग सफाई को लेकर यूनिवर्सिटी और एडमिनिस्ट्रेशन को भला बुरा कहते हुए बाथरूम का प्रयोग करते दिखाई दे जाते है।
बहरहाल समाचार लिखे जाने तक तमाम कोशिशों के बावजूद इस सम्बंध में विश्वविद्यालय प्रशासन के नम्बर पर सम्पर्क स्थापित नही हो पाया।