इंडिया बनाम पकौड़ा ! पकौड़ा कोई कितना खाएगा , ज़्यादा खाने के बाद पेट भी पछताएगा.

(रेशमा ख़ातून):भारत में कुल २९ राज्य हैं ,ये राज्य अपने आप में बिल्कुल अलग पहचान रखते हैं ! सभी की अपनी मांगें हैं ! लेकिन जो सबको एक रूप में चाहिए वह है रोज़गार ! बिना रोज़ी के प्लेट में रोटी नहीं !

हर कोई अपनी काबलियत के मुताबिक रोज़गार करता है , काम करता है !
कुछ मामलों में लोगों को मन चाही नौकरी मिल जाती है , कुछ मामलों में लोग उधोग-धंधा लगाते हैं और कुछ मामलों में छिपी हुई बेरोज़गारी सामने आती है ! छिपी हुइ बेरेज़गारी उसे कहते हैं जब कोई व्यक्ति अपनी काबलियत से कमतर काम करने को मजबूर हो जिसमें उसे पैसे भी कम मिलें !

प्रधानमंत्री मोदी ने देश की जनता को “मेक इन इंडिया ” का मशीनी शेर दिखा कर ये आशवस्त किया था कि देश अब डिजिटल इंडिया बनेगा और सभी को उनकी मनचाही नौकरियां मिलेंगी ! इस बात से देश के सभी बेरोज़गार युवाओं में जोश भर गया !
लेकिन बीते दिनों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक न्यूज़ चैनल पर अपना इंटरव्यू देते हुए कहा कि रोज़गार बढ़ें हैं , सड़क के किनारे ,किसी बिल्डिंग के बाहर पकौड़ा बेच कर जीविका चलाना रोज़गार है , ये बातें भी कम पड़ीं तो अमित शाह ने छौंका मारते हुए कह डाला कि आज आप पकौड़ा बेच कर घर चला लो कल आपकी अगली पीढ़ी उधोग धंधा करेगी ! मतलब कि अगली पीढ़ी भी मन चाही नौकरी की बात भूल ही जाए !



इन बातों पर तुरंत यकीन होना आसान नहीं था कि इतने ऊंचे पद पर बैठे लोग जिन्हें जनता ने बड़ी उम्मीद से अपना कार्य करने की ज़म्मेदारी दी थी वे आज उस ज़िम्मेदारी से बचते हुए पकौड़ा बेचने को रोज़गार योजना जैसा ही बता रहें हैं !
इन सारी बातों से युवाओं में बड़े पैमाने पर रोष देखने को मिला ! एम.बी.ए और इंजीनियरिंग के छात्रों ने पकौड़ा स्टॉल लगाया और स्वयं पकौड़ा तल कर अपना रोष ज़ाहिर किया !
सोशल मीडिया पर लोगों ने कई चुटकुले बनाए हैं जिन्हें देख पढ़ कर सभी बेरोज़गार डिग्री धारियों को रोना आ जाए या गुस्से का पारा ऊपर चढ़ जाए !
अब सवाल ये उठ रहें हैं कि देश को आधुनिक बनाने , डिजिटल बनाने में कोई पकौड़ा तल कर क्या योगदान दे सकता है , क्या प्रधानमंत्री मोदी देश के शिक्षित युवाआें से पकौड़ा तलवा कर भारत को पुरी दुनिया भर के समक्ष आधुनिक , समृद्ध , कामयाब होने की बात करेंगे ! बात तक़लीफ़ दह और सोंचनीय है !