आइये जानते है ?ध्वनि प्रदूषण के बारे में विस्तार से..पढ़े पूरी खबर

रेशमा ख़ातून/मिथिलांचलन्यूज़डेस्क:-सृष्टि का निर्माण एक ध्वनि से हुआ है ये वेदों में लिखा है..

क़ुरआन कहता है और उस एक ईश्वर ने कहा ” हो जा ” और समस्त सृष्टि का निर्माण हो गया ! मतलब किसी भी धर्म की किताब उठा कर देखें तो यही हासिल होगा कि ध्वनि का अंत नहीं वह अनंत है ! इसलिए संसार भी अनंत काल तक चलेगा जब तक सृष्टि के रचियता का मन करे !
जहाँ ध्वनि से ही संसार की रचना हुई वहीं ध्वनि कई मामलों में अति बन कर मनुष्य का काफ़ी कुछ नष्ट कर रही है !
जिसे ध्वनि प्रदुषण के नाम से हम सभी जानते हैं !
कान के पर्दों पर यदि तीव्र ध्वनि का प्रहार हो जाए तो बेचारा बर्दाश्त ना कर पाने के कारण बहरा हो जाता है या ‘ टीनाइट्स ‘ की बीमारी लग जाती है ! टीनाइट्स से पीड़ित व्यक्ति के कान में अक्सर एक तेज़ आवाज़ गूंजती है बिल्कुल उसी तरह से जैसे माइक सेट करते हुए तेज़ सीं-सीं की आवाज़ होती है !



लगातार तेज़ आवाज़ से सर में दर्द , ह्रदय की गति का घटना-बढ़ना , शरीर में कमज़ोरी महसूस होना , यहाँ तक कि आँखों में खिंचाव और जबड़े में दर्द की भी शिकायत देखने को मिलती है ! कौन चाहेगा कि एक तेज़ आवाज़ के कारण कोई इतनी मुसीबतें झेले !
हमारे देश का कानून इस मामले में काफ़ी सख़्ती बरतता है कि किसी को ध्वनि प्रदुषण के कारण दिक्कत ना हो !
इसके लिए एक निर्धारित आवाज़ और समयावधि रखी गई है !
ध्वनि तीव्रता को दो ज़ोन में बांटा गया है १)साइलेंट ज़ोन ४० डी बी से ५० डी बी तक
२)रेज़िडेंटल एरिया ज़ोन ४५ डी बी से ५५ डी बी तक तथा समय सुबह ६ बजे से रात १० बजे तक !
किसी भी आयोजन, शादी-विवाह इत्यादी में इन बातों को ध्यान में रखने का प्रावधान है ! अन्यथा कानूनी कार्यवाही होगी !
मुम्बई के कई संगठनों ने शादी विवाह में बजने वाले बैंड पर पूरी तरह से बैन लगाने की मांग की है ! उनका कहना है कि बाराती घर से लेकर मैरेज हॉल तक के रास्तों पर बैंड-बाजा बजाते हुए और पटाखे छोड़ते हुए जाते हैं ! इन रास्तों पर सैंकड़ों हज़ारों घर होते हैं जिनमें बूढ़े , बिमार और पालतू जानवर होते हैं जिन्हें इन आवाज़ों से काफ़ी तकलीफ़ होती है !
बीते दिनों लाउडस्पीकर पर होने वाली ३-४ मिनट की फ़ज़िर की आज़ान
से नींद खुलने की बात सामने आई ! पाँच वक्त की आज़ान में ४ वक्त की आज़ान सुबह ६ से रात १० बजे के अंदर होती है ! बात सिर्फ १ आज़ान की है तो इस पर विचार किया जा रहा है और कई जगहों पर इसके सटीक रासते भी निकाले गए हैं !
बात ध्वनि प्रदुषण की हो रही है और धर्म की भी ! मूर्ति विसर्जन के समय लोग आस्थावान होकर एक जगह इकट्ठे होते हैं ! भक्तिमय उस बेला में लाउडस्पीकरों पर पर तेज़ आवाज़ में फ़िल्मी गाने , ख़ासकर अशलील गाने बजाए जाते हैं जिस पर ऑब्जेक्शन उठना तय था !अधिकतर लोगों को बड़े-बड़े लाउडस्पीकर की आवाज़ से जो ह्रदय पर एक चोट सी महसूस होती है उस पर एक बड़े पैमाने पर आपत्ति है ! सभी का कहना है कि आस्था के पर्व को कुछ छिछोरे लोगों ने अपनी अशलीलता को खुले आम परोसने का एक ज़रिया बना लिया है !
कई संगठन और संस्थान इसके विरोध में उठकर लोगों में जागरूकता फैला रहे हैं कि ध्वनि प्रदुषण बंद करो , स्वस्थ्य निरोगी जीवन जियो !

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