जेडीयू ने प्रस्ताव पास कर कहा कि चुनाव के नतीजे हमारी अपेक्षा के अनुरूप नहीं आए. चुनाव में उम्मीद के विपरीत सीटें आने से हमारे लाखों कार्यकर्ताओं का मन दुखी जरूर होगा, मगर आपके मनोबल में कोई कमी नहीं आई है. चुनाव के समय विपक्ष ने युवकों को नौकरी के नाम पर गुमराह करने का प्रयास किया था. एक काल्पनिक और अविश्वसनीय आश्वासन देकर उनके साथ छल करने की कोशिश की गई थी, क्योंकि उनको कुछ करना ही नहीं था.
प्रस्ताव में आगे कहा गया है कि महामारी और लॉकडाउन के दौरान विपक्ष ने सोशल मीडिया पर बिहार की नकारात्मक छवि पेश करने की कोशिश की. यह राज्य के नागरिकों के मनोबल तोड़ने और उन्हें हतोत्साहित करने का प्रयास था. जेडीयू की तरफ से ये बयान ऐसे वक्त आया है जब नीतीश कुमार लगातार बीजेपी पर गाहे-बगाहे निशाना साध रहे हैं.
इससे पहले नीतीश कुमार ने शनिवार को जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) की प्रदेश कार्यकारिणी की बैठक के दौरान एक बड़ा खुलासा किया. नीतीश कुमार ने 2 दिनों तक चलने वाले प्रदेश कार्यकारिणी के पहले दिन बैठक को संबोधित करते हुए कहा कि चुनाव के वक्त उन्हें पता ही नहीं चला कि उनका दोस्त कौन है और दुश्मन कौन.
राजनीतिक गलियारों में इस बात को लेकर अटकलें लगाई जा रही हैं कि नीतीश कुमार का यह बयान सहयोगी दल बीजेपी को लेकर दिया गया है, क्योंकि बैठक में चुनाव हारने वाले कई जेडीयू प्रत्याशियों ने इस बात का जिक्र किया कि उनकी हार लोक जनशक्ति पार्टी की वजह से नहीं बल्कि बीजेपी की वजह से हुई है.
सूत्रों के मुताबिक, बैठक में जिन जेडीयू नेताओं ने उन्हें चुनाव में मिली हार के लिए बीजेपी के रोल पर सवाल उठाया उनमें चंद्रिका राय, बोगो सिंह, जय कुमार सिंह, ललन पासवान, अरुण मांझी और आसमां परवीन शामिल हैं. इन नेताओं ने साफ कहा कि चुनाव में उनकी हार लोक जनशक्ति पार्टी की वजह से नहीं बल्कि बीजेपी की वजह से हुई है.
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