क्या ‘कुमार विश्वास’ से भंग हो गया केजरीवाल का मोह’? इस बार इफ्तार पार्टी में नहीं भेजा बुलावा

आम आदमी पार्टी का अंदरूनी विवाद ऐसे मोड़ पर आ गया है, जहां खुद दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और कुमार विश्वास आमने-सामने हैं. अब तक सोशल मीडिया पर चल रहा वार-पलटवार सार्वजनिक कार्यक्रम तक पहुंच गया है. मुख्यमंत्री केजरीवाल की ओर से आयोजित इफ़्तार पार्टी में कुमार विश्वास को नहीं बुलाए जाने पर बड़ा विवाद खड़ा हो गया है.

दिल्ली में सत्ता संभालने के बाद सीएम केजरीवाल तीसरी बार इफ़्तार पार्टी दे रहे हैं. हैरानी की बात यह है कि इससे पहले दो बार कुमार विश्वास इफ़्तार पार्टी में आमंत्रित किए गए थे, लेकिन हाल ही में उठे अंदरूनी विवाद के बाद शुक्रवार को हुई सीएम केजरीवाल की इफ़्तार पार्टी का विश्वास को निमंत्रण तक नही भेजा गया. इफ़्तार पार्टी में नहीं बुलाए जाने की जानकरी देते हुए विश्वास ने कहा, ‘यह दिल्ली सरकार का विशेष अधिकार है कि इसमें किसे बुलाया जाए और किसे नहीं. जंतर-मंतर में जो आंदोलन शुरू हुआ था, वो इसलिए तो नहीं हुआ था कि दिल्ली सरकार मुझे इफ़्तार में बुलाए या न बुलाए. यह सवाल गैर जरूरी है.’

हालांकि पार्टी के अंदरूनी विवाद पर पूछे गए सवाल पर तो कुमार ने बड़ी तसल्ली से जवाब देते हुए कहा कि पवित्र रमजान के महीने में दिल्ली सरकार अगर इफ्तार का आयोजन कर रही है, तो दिल्ली के टैक्स के पैसे हैं. सरकार का यह विशेषाधिकार है कि वह किसे इफ्तार में बुलाए और किसे न बुलाए. उन्होंने कहा कि पहले दो साल तक मुझे बुलाया गया था, तो मैं गया था. इस बार नहीं बुलाया गया, तो नहीं जा रहा हूं. जंतर मंतर से शुरू हुई लड़ाई को बहुत से लोग डिस्ट्रैक्ट करने की कोशिश करते रहते हैं. हमें वैकल्पिक राजनीति के लिए चुना गया है न कि विपक्ष की राजनीति के लिए.

इस दौरान कुमार विश्वास ने सोशल मीडिया पर हो रही बयानबाजी करने वालों को भी आड़े हाथों लिया है. कुमार ने कहा, ‘मैं इस पर टिप्पणी नहीं करूंगा, लेकिन जो लोग ट्विटर को देश समझते हैं, वही देश को ट्विटर समझते हैं. ट्विटर अपनी बात को रखने का माध्यम है, सत्य नहीं है.’

source (aaj tak)

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