#/Article “माँ-बाप”..ज़रा सोंचियेगा ज़रूर…..

कितना अच्छा लगता है अपने माँ-बाप का बचपन देखने में , अरे….मेरा मतलब है उनका बुढ़ापा देखने में !

क्यों उन्होंने हमारा बचपन देखा है तो हमारा भी हक़ है कि हम उन्हें बच्चा बनते देखें ! हमने अपने बचपन में उनसे बड़े ही अजीबोगरीब सवाल किए हैं और उन्होंने ज्ञानी बाबा की तरह हमें उन प्रश्नों के उत्तर दिए हैं !
अगर हमारे परमेश्वर की कृपा दृष्टि रही तो अब हम उन्हें बतायेंगे कि हम भी ज्ञानी बाबा बनकर आपको नई बातें बतायेंगे !

हम भी बचपन में कौन सा एक बार में उनका पीछा छोड़ते थे , तो क्या हुआ वो भी हमसे कई बार एक ही बात पूछें तो ?!

अगर वो शारीरिक रूप से अक्षम हो चुके हैं तो क्या हुआ ? हमारा ये शरीर आपने रोपा , पूरे मन से इसकी देखभाल की , रातों को जाग कर हमें सुलाया ,
तो क्या ये छोटी बात हम कह सकते हैं कि हम कैसे करें ?
नहीं बिल्कुल नहीं !

जिस तरह उन्होंने हमारा ख़्याल रखा , हम तो पूरी कोशिश करेंगे कि हम उससे अधिक उनके लिए कर पाएें !

क्योंकि हमें तो इस दुनिया में रहने लायक़ आपने बनाया !
आपने हमें जीवन भी दिया और अपना पूरा जीवन भी !
हम आपके लिए क्या कर पायेंगे और कितना कर पायेंगे ?!
आपने अपनी इच्छा से पहले हमारी इच्छाओं का सोंचा ! चाहते तो हमें घर पर छोड़ कर ख़ुद अकेले घूम सकते थे , पर नहीं हमारे लिए ही आप मेलों में , दुकानों में घूमें , क्या हुआ जो हम आपके लिए कुछ समय निकाल कर आपको सुनते हैं , आपके साथ रहते हैं , क्या हुआ अगर हमारी कोई ट्रिप आपके लिए हमें छोड़नी पड़ी !

दुनियाँ तो यहीं रहेगी पर जब आप नहीं होंगे तो कुछ भी करके आपको वापस नहीं पा सकते ! आपके लिए चाह कर भी फ़िर कुछ नहीं कर सकते !
कितने ख़ुशनसीब होते हैं वो लोग जो अपने माँ-बाप को बच्चा बनते देखते हैं !

रेशमा ख़ातून!!