BHP से तोगड़िया ने तोड़ा नाता । BHP के नये अध्यक्ष बने विष्णु सदाशिव

पटना बिहार मिथिलांचल न्यूज़ :-विश्व हिंदू परिषद में सबसे अहम चेहरा माने जाने वाले प्रवीण तोगड़िया ने करीब तीन दशक बाद शनिवार को संगठन से नाता तोड़ लिया है। अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष के लिए हुए चुनाव में हिमाचल प्रदेश के पूर्व राज्यपाल विष्णु सदाशिव कोकजे ने जीत हासिल की है।उन्होनें तोगड़िया के समर्थक राघव रेड्डी को हराया, जिसके बाद तोगड़िया ने साफ तौर पर कह दिया कि वो अब विहिप में नहीं है।

आपको बता दें कि 54 साल के इतिहास में पहली बार वोटिंग से अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष चुना गया है। केंद्र सरकार और खासतौर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कई मौकों पर निंदा के चलते तोगड़िया से आरएसएस और भाजपा का शीर्ष नेतृत्व नाराज था। काफी समय से उनकी संगठन से विदाई की अटकलें लगाई जा रही थीं।

सहमति नहीं बनने के चलते करवाया मतदान
तोगड़िया समर्थक और विरोधी धड़ों के बीच नए अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष पर सहमति नहीं बनने के चलते चुनाव करवाना पड़ा। गुड़गांव में शनिवार सुबह 11.00 बजे कड़ी सुरक्षा के बीच मतदान हुआ। राष्ट्रीय कार्यकारिणी से जुड़े 192 सदस्यों ने वोट डाले। दोपहर 1.00 बजे मतदान खत्म होते ही मतगणना हुई। कोकजे को 131 और प्रतिद्वंद्वी रेड्‌डी को 60 वोट मिले। एक वोट रद्द हो गया। जीत की घोषणा होते ही डाॅ. तोगड़िया बाहर चले गए।

अनिश्चितकालीन उपवास पर बैठूंगा : तोगड़िया

तोगड़िया ने कहा कि 100 करोड़ हिंदुओं की आवाज दबाई गई है। मैं विहिप में 32 साल से था। हिंदुओं, किसानों, युवाओं, मजदूरों की आवाज उठाता रहूंगा।’ उन्होंने कहा कि 17 अप्रैल से अहमदाबाद में अनिश्चितकालीन उपवास पर बैठेंगे।

भाजपा से नाराज चल रहे थे तोगड़िया पहले भी कर चुके है नाराज़गी जाहिर

राम मंदिर के मसले पर संसद के द्वारा कानून बनाए जाने की मांग पर अड़े तोगड़िया काफी समय से आरएसएस और बीजेपी से नाराज चल रहे थे। वह खुले तौर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अपनी नाराजगी जाहिर कर चुके हैं। विश्व हिन्दू परिषद में पहले ही तोगड़िया की स्थिति बहुत कमजोर हो गई थी। संगठन में भाजप और आरएसएस के बढ़ते दखल के बीच तोगड़िया और उनके करीबियों का चुना जाना पहले से भी असंभव माना जा रहा था।

राजस्थान हाईकोर्ट में जज रहे हैं कोकजे

विहिप के नए अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष विष्णु सदाशिव काेकजे का जन्म 6 सितंबर, 1939 को मप्र के इंदौर में हुआ था। 1964 में उन्होंने वकालत शुरू की। 1990 से 2001 तक वह राजस्थान और मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में जज भी रहे। इसके बाद 2003 से 2008 तक हिमाचल प्रदेश में राज्यपाल का दायित्व निभाया। वह भारत विकास परिषद के अध्यक्ष भी रह चुके हैं।

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