BPSC परीक्षार्थी ध्‍यान दें- इंटरव्‍यू में नहीं पूछे जाएंगे ये सवाल, कोड से होगी पहचान

बिहार लोक सेवा आयोग (बीपीएससी) के इंटरव्यू में अब कौन साक्षात्कार ले रहा है, और कौन दे रहा है, इसकी जानकारी दोनों में किसी को नहीं रहेगी। अभ्यर्थियों को अब इंटरव्यू में जाने से पहले कंप्यूटर जेनरेटेड कोड नंबर दिया जा रहा है। यही कोड अभ्यर्थी की पहचान होती है। अभ्यर्थी के प्रदर्शन के अनुसार कोड के सामने प्राप्तांक विशेषज्ञ अंकित कर रहे हैं। इसे स्कैनर ही डीकोड कर सकता है।

गोपनीयता के लिए की व्‍यवस्‍था

बीपीएससी के अध्यक्ष शिशिर सिन्हा ने बताया कि यह व्यवस्था अभ्यर्थी की गोपनीयता के लिए की गई है। किस बोर्ड में कौन विशेषज्ञ शामिल होंगे, उन्हें इसकी जानकारी इंटरव्यू प्रारंभ होने से कुछ देर पहले मिलती है। यह कंप्यूटर जेनरेटेड होता है। अध्यक्ष को भी विशेषज्ञ के साथ ही बोर्ड मेंबर की जानकारी मिलती है। किस बोर्ड में किसका इंटरव्यू होगा, यह कोई नहीं जानता है।

व्यक्तिगत जानकारी की मनाही

इंटरव्यू के दौरान कोई भी विशेषज्ञ अभ्यर्थी से व्यक्तिगत जानकारी से संबंधित प्रश्न नहीं पूछ सकते हैं। मसलन अभ्यर्थी का नाम क्या है, कहां के रहने वाले हैं, धर्म या जाति क्या है आदि। अध्यक्ष ने बताया कि ऐसा कोई भी प्रश्न विशेषज्ञ नहीं पूछ सकते हैं, जिससे अभ्यर्थी की पहचान जाहिर हो सके। साक्षात्कार के दौरान अभ्यर्थी की पहचान उसका बारकोड होता है। उनका नाम, पता सहित सभी पहचान गोपनीय होती है।

अभ्यर्थियों को वेरिफिकेशन के बाद सीलबंद लिफाफा दिया जाता है। इसमें उनका कोड और संबंधित बोर्ड का नाम रहता है। लिफाफा इंटरव्यू के थोड़ी देर पहले खोलकर वे केवल अपना बोर्ड ही जान पाते हैं। किस बोर्ड में कौन विशेषज्ञ बैठे हैं, इसकी जानकारी उन्हें नहीं होती है। बोर्ड मेंबर भी नहीं जानते हैं कि किस अभ्यर्थी का इंटरव्यू उनके बोर्ड में है।

यूपीएससी और राज्य आयोग की टीमें ले चुकीं जायजा

बीपीएससी में मानवीय हस्तक्षेप नगण्य करने के लिए शत फीसद कार्य ऑनलाइन कर दिया गया है। इस बदलाव को समझने के लिए यूपीएससी सहित कई आयोगों की टीम बीपीएससी आ चुकी है।

 

कॉपी की होती है डबल कोडिंग

प्रारंभिक परीक्षा में ऑब्जेक्टिव प्रश्न होते हैं। इनके जवाब अभ्यर्थी बार कोडेड ओएमआर शीट पर देते हैं। लेकिन, मुख्य लिखित परीक्षा में सबजेक्टिव जवाब देना होता है। मुख्य परीक्षा की उत्तरपुस्तिका की दो दफे कोडिंग की जाती है। सीसीटीवी की मॉनीटरिंग में बार कोडिंग होती है। पहली बार कोडिंग के बाद ही कौन किसकी कॉपी है, कोई नहीं बता सकता है। दूसरी बार कोडिंग करने पर पहले की बार कोडिंग भी खत्म हो जाती है। इससे गोपनीयता भंग होने की संभावना पूरी तरह से खत्म हो जाती है।

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