जाने क्या है हस्तरेखा ज्ञान से संबंधित एेंथ्रोलोजी , पंचागुली देवी तथा नाड़ी शास्त्र :आज की आंठवे कड़ी में हम आपके साथ हस्तरेखा ज्ञान से संबंधित एेंथ्रोलोजी , पंचागुली देवी तथा नाड़ी शास्त्र के ज्ञान को साझा करेंगे

आज के आंठवे भाग में हम हस्तरेखा ज्ञान से संबंधित एेंथ्रोलोजी , पंचागुली देवी तथा नाड़ी शास्त्र की बात करेंगे !
ज्योतिष शास्त्र से संबंधित ये एैसी कड़ियाँ हैं जिनकी जानकारी हो जाए तो अच्छा है !
१} एेंथ्रोलोजी विधा असल में उंगलियों के प्रथम पोरों में बने चिह्न से भविष्यवाणी करने की एक विधा है , ये तो आज के समय में हम सभी जानते हैं कि हर व्यक्ति के हाथों की छाप (फिंगर प्रिंट) बिल्कुल ही अलग होती है लेकिन इसे राजकीय कार्य में सबसे पहले सिकंदर महान ने उपयोग में लाते हुए कहा कि उसे ये ज्ञात हो गया है कि उंगलियों पर उभरे ये निशान किसी भी दो व्यक्तियों के एक जैसे नहीं होते , अतः इसे आज से राजकार्य में उपयोग में लाया जाएगा !




प्राचीन ऋषियों ने उंगलियों के पोरों पर बने चिह्नों द्वारा मान ,प्रतिष्ठा , सम्पदा के लाभ- हानि की विस्तृत व्याख्या की है !
२}पंचागुली देवी असल में एक साधना है जिसका वर्णन जैन धर्म के ग्रंथों में मिलता है ! ध्यान- मंत्र द्वारा इसे सिद्ध किया जाता है ! इस साधना को सिद्ध करने वाला व्यक्ति भूतकाल , भविष्य काल तथा वर्तमान काल का ज्ञाता बन जाता है , साधक हाथ देखकर ही किसी भी व्यक्ति की जन्म तारीख़ , जन्म कुंडली , नाम , पता , हर छोटी बड़ी बात को अकल्पनिय तरीके से बताने का सामर्थ्य रखता है !
पंचागुली देवी कहे जाने वाले इस साधना का अधिष्ठात्री देवता है !
३} जिस विधा को दक्षिण भारत में नाड़ी शास्त्र , नाड़ी विधा कहते हैं उसे उत्तर भारत में भृगु संहिता , अरूण संहिता , सूर्य संहिता आदि नामों से संबोधित किया जाता है !
दक्षिण भारत में तमिल भाषा में ताड़पत्र पर लिखे हुए इस शास्त्र में संसार में जन्मे हर व्यक्ति का संपूर्ण भविष्य , उसका नाम , उसके माता-पिता , पत्नि का नाम , उसकी वर्तमान आयु , उसका वर्तमान व्यवसाय , उसके काम करने का ढंग सभी कुछ चमत्कारी रूप में लिखा हुआ है !
उत्तर भारत में यह विधा पुराने जीर्ण- शीर्ण काग़ज़ों और उनके फ़ोटो कॉपी के रूप में प्राप्त होती हैं !
इस प्रकार ऐंथ्रोलोजी , पंचागुली देवी तथा नाड़ी शास्त्र का यह ज्ञान संक्षिप्त रूप में समझना ही लाभकारी है !
आप जिस तरह हमारे ज्योतिष ज्ञान से संबंधित इस प्रयास से जुड़े हुए हैं और इसे पसंद कर रहे हैं इसके लिए आपका धन्यवाद !!
आर.के.लकी.

admin