जाने क्या है “स्वप्न ज्योतिष” :आज की पाँचवें कड़ी में हम आपके साथ “स्वप्न ज्योतिष”के ज्ञान को साझा करेंगे

पाँचवें अंक की चर्चा से पूर्व मुझे ये उम्मीद है कि आपको हमारा एक-एक अंक किसी अमूल्य मोती के समान अद्भुत और दिलचस्प लग रहा होगा !
आपकी इस अनुभूति को आज हम एक नया आयाम देते हुए “स्वप्न ज्योतिष” के बारे में बात करेंगे !
स्वप्न केवल मनुष्यों की धरोहर है एैसा कहना बिल्कुल ही ग़लत होगा ! स्वप्न हर सजीव देखता है , जिसमें आत्मा है वह परमात्मा से जुड़ा है !
आप यदि किसी जानवर को पालते हैं तो उसे नींद की हालत में कुछ अजीब हरकतें करते हुए ज़रूर देखा होगा ! ये जानवर अपने स्वप्नों के बारे में हमसे कुछ नहीं कह सकते , हाँ हम उनकी हरकतों से ये आकलन ज़रूर लगाते हैं कि वो क्या स्वप्न देख रहे हैं !
हम मनुष्यों को उस एक परमात्मा ने सभी प्राणियों में सर्वश्रेष्ठ बनाया है , जब हम नन्हें बच्चे होते हैं तब से हम स्वप्न देखते हैं , उस अबोध अवस्था में भी हमें यह ज्ञात होता है कि कौन सा स्वप्न अच्छा है और कौन सा स्वप्न बुरा है तभी तो निद्रा अवस्था में कई बार बच्चे मुस्कुराते हैं और कई बार रोने लगते हैं !




सम्पूर्ण विश्व और सभी धर्मों में स्वप्न ज्योतिष को मान्यता प्राप्त है !
भारत देश की बात करें तो भारतीय ऋषियों ने स्वप्न ज्योतिष पर बहुत सारे ग्रंथों की रचना की है , जिसमें “स्वप्न ज्योतिष”, ” स्वप्न विज्ञान ” , ” स्वप्न कमलाकर ” इत्यादि अनेकों ग्रंथ हैं !
अरब देशों में ” ख़्वाब नामा ” ग्रंथ मिलते हैं !
वहीं यूरोपीय देशों में ड्रिमोलॉजी एवं ड्रीम डिक्शनरी से स्वप्नों का भेद ज्ञात किया जाता है !
यदि हम धार्मिक ग्रंथों की बात करें तो महाभारत , रामायण , क़ुरआन और बाइबल में भी इसका ज़िक्र मिलता है !
स्वप्न ज्योतिष में स्वप्नों के चार भेद होते हैं , १} दैवत , २} स्वानुमावज , ३} धातु प्रकोज स्वप्न , ४} चिन्ताद्भूत स्वप्न ,जो अलग-अलग भाषा और सभी धर्मों में समान रूप से माने जाते हैं !
चार पहर प्रथम , द्वितीय , तृतीय तथा चतुर्थ पहर स्वप्न का अलग-अलग फल निर्धारित करते हैं !
स्वप्न को कभी भी मूर्ख- कम बुद्धि वाले व्यक्ति के सामने नहीं बोलना चाहिए !
फ़िर मिलेंगे अगले भाग में , हमारे चैनल से जुड़े रहने के लिए धन्यवाद !!
आर.के.लकी .

admin